हम ज्योतिष पर विश्वास क्यों करें?

हम ज्योतिष पर विश्वास क्यों करें? यह प्रश्न अक्सर मुझसे पूछा जाता रहा है और मेरा प्रयास सदैव प्रश्नकर्ता को इससे लाभ उठा रहे लोगों से साक्षात्कार करने और उनसे अपनी जिज्ञासा की शांति के लिए चर्चा करने का अवसर देने का रहता है। इसके दो लाभ हैं, एक तो मैं आत्मश्लाघा के पाप से बच जाता हूँ, दूसरे किसी अन्य व्यक्ति के अनुभवों को सुनकर प्रश्नकर्ता के ज्यादातर संदेह दूर हो जाते हैं। हालांकि हर कोई इससे संतुष्ट नहीं होता है लेकिन वहम की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं बताई गई है। इसी संदर्भ में वर्ष 2005 में घटी एक घटना का जिक्र करना चाहता हूँ। मैं, उस समय पत्नी के रूप में घर में ही एक आलोचक की उपस्थिति से लाभान्वित था और अपने ज्योतिष प्रेम की वजह से अक्सर उसके व्यंग्य या ठिठोली का निशाना बनना मेरी नियति था। रविवार, 20 मार्च, 2005 की सुबह लगभग 10:00 बजे मेरी पत्नी को पड़ोस की एक लड़की के शनिवार मध्याह्न से लापता होने का पता चला और उसने मेरा इम्तिहान लेने की दृष्टि से घटना का उल्लेख कर यह जानना चाहा कि क्या वह लड़की मिल जायेगी और क्या वह सकुशल है? मेरे द्वारा पंचांग में उस दिन के नक्षत्र को देखकर यह जबाब दिया गया कि ढूंढने पर मिल जायेगी। पत्नी इससे संतुष्ट नहीं हुई और उसने इसके बारे में निश्चित जानकारी देने की बात कही। तब मेरे द्वारा उस समय प्रश्न कुण्डली बनाई गई, जो नीचे दी गई है। दिनांक: 20 मार्च, 2005, समय: 10:11 IST स्थान: जयपुर (राजस्थान)
उस समय, इस कुण्डली के विवेचन से मैनें पत्नी को
निम्न बातें बताईं:-
1.
लड़की प्रेम-प्रसंग के कारण घर से गई है।
2.
एक रूढ़िवादी परिवार की लड़की के जितनी दूर जाने की अपेक्षा की जा
सकती है उससे कहीं अधिक दूर अर्थात् बेहद दूर स्थित दक्षिण-पश्चिम की ओर गई है।
3.
वह अभी यात्रा कर रही है।
4.
लड़की सुरक्षित है और घर लौटने के लिये परेशान है।
5.
वह स्वयं सम्पर्क कर अपनी स्थिति के बारे में घर पर सूचना देगी।
6. तीन दिन में अर्थात् बुधवार तक लड़की घर लौट आयेगी।
नौकरीपेशा लोगों के लिए रविवार का दिन
घूमने-फिरने के लिए होता है और परिपाटी के अनुसार हम सपरिवार घर से बाहर चले गये।
दिन भर की व्यस्तता में हम इस घटना को भूल गये और रात्रि 10:30 के आस-पास घर लौटने पर कालोनी में लोग चर्चा करते हुए, घरों के बाहर दिखाई दिये। उनसे जानकारी मिली कि वह लड़की शनिवार दोपहर को
ट्रेन से मुम्बई चली गई थी और बिना टिकट सफर करने पर टिकट कलेक्टर द्वारा उसे
मुम्बई स्थित अपने परिवार के पास ले जाया गया है और वह वहां सुरक्षित है। लड़की ने
अपने परिजनों से फोन पर बात भी कर ली है। बुधवार रात्रि को लड़की के चाचा उसे घर
लेकर आ गये। प्रश्न शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार इस घटना का विवेचन निम्न
प्रकार से है:-
- प्रश्न
कुण्डली में स्थिर लग्न उदित हो रही है जो स्थिति में सुधार का संकेत है।
- लग्नेश
शुक्र का चतुर्थेश सूर्य से निकटतम अंशों पर इत्थशाल हो रहा है जो उसके शीघ्र
घर लौट आने को बताता है।
- चंद्रमा
चर राशि मे स्थित है जो उस समय उसके यात्रारत रहने का संकेत है। जयपुर से
दोपहर 02:00
बजे मुम्बई जाने वाली ट्रेन दूसरे दिन दोपहर में लगभग 01:30
बजे वहां पहुंचती थी। अतः प्रश्न करने के समय वह निःसंदेह सफर
में ही थी। हम जानते हैं कि मुम्बई, जयपुर से दक्षिण
पश्चिम में लगभग एक हजार किलोमीटर दूर है। चंद्रमा लगभग सवा दो दिन बाद राशि
बदलता है।
- चंद्रमा
कर्क राशि में एक डिग्री पर था और मंगलवार को चतुर्थ भाव स्थित सिंह राशि में
आने के बाद लड़की के घर लौटने की स्थिति बनती है। .
- लग्नेश
शुक्र के साथ पंचमेश बुध तथा राहू की युति होने और पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि
से देखने से प्रेम प्रसंग की उपस्थिति, स्पष्ट है।
यहां राहू, प्रेम प्रसंग में धोखे की स्थिति को भी
दर्शा रहा है। यह लड़की, जिस लड़के के साथ गई थी वह उसे
ट्रेन में अकेला छोड़कर गायब हो गया था।
जब भविष्य, अज्ञात तथा अनिश्चित हो तो ज्योतिष हमारे लिये एक
आशा की किरण के रूप में कार्य करता है। किसी तात्कालिक समस्या के समाधान के लिये
प्रश्न शास्त्र की सहायता ली जाती है और इससे बड़े ही सटीक परिणाम मिलते हैं। यह
उन लोगों के लिये भी उपयोगी है जिन्हें अपना जन्म विवरण ज्ञात नहीं है। मेरा
प्रयास है कि मैं ऐसे उदाहरणों से आपको अवगत कराता रहूँ।
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