भारतीय ज्योतिष तथा रोग विचार
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अपने भविष्य की जानकारी करने की उत्सुकता हम सभी में समान रूप से विद्यमान है। इसके लिए पिछले हजारों वर्षों में कई तरीके हमारे बुद्धिमान पूर्वजों ने खोजे हैं। ज्योतिष के द्वारा फलकथन सर्वाधिक विश्वस्त तथा प्रचलित तरीका है। एक सहज तर्कशक्ति के द्वारा हम इस पर अविश्वास की भावना भी रखते हैं। इसका मूल कारण मानव की हर विषयवस्तु पर शंका करना है। मानव ने अपनी जिज्ञासु तथा शंकालु प्रवृत्ति के कारण ही आज इतनी प्रगति की है। अतः यह शंका भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया ही है। इसी शंका और जिज्ञासा ने मुझे ज्योतिष के अध्ययन की ओर खींचा और Indian Council of Astrological Science, चेन्नई के जयपुर चेप्टर से वर्ष 2002 में ज्योतिष की विधिवत शिक्षा प्राप्त करना प्रारंभ किया। वर्ष 2004 में ज्योतिष विशारद उत्तीर्ण करने के पश्चात गुरूजनों की कृपा से नियमित ज्योतिषीय विश्लेषण प्रारंभ किया और यह देखकर हैरान रह गया कि हमारे शास्त्रों में वर्णित ज्योतिषीय योगादि (जो हजारों वर्षों पूर्व विद्वानों ने खोजे हैं) कितने सटीक हैं। जिस व्यक्ति को हमने कभी देखा भी नहीं, उसकी जन्मकुंडली उसके जीवन की दशा और दिशा के समस्त रहस्य हमें दिखाने लगती है।
ज्योतिष फल कथन करते हुए रोग और ज्योतिष के आपसी संबंध का तानाबाना और स्पष्ट होने लगा (वैसे मेडिकल एस्ट्रोलाजी हमारे पाठ्यक्रम में था)। अब इसी विषय (हृदय रोगों का ज्योतिषीय अध्ययन) पर शोधरत हूँ। इस संदर्भ में मैंनें पिछले कई दिनों में वेब पर सम्पर्क करने के प्रयास किये हैं और यह ब्लाग भी उसी क्रम में तैयार किया गया है। हालांकि मुझे इंटरनेट पर अभी तक ज्योतिष प्रेमी विद्वान कम ही मिले हैं किंतु आस पर दुनिया कायम है। मैं इस ब्लाग के जरिए आपके अनुभव जानना चाहता हूँ।
मैं आपसे यह कहना चाहूंगा कि ज्ञान अनंत है और उसे प्राप्त करने में एक मानव जीवन की अवधि बेहद कम है। हम सिनर्जीस्टिक एफर्ट के द्वारा एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।
संजीव शर्मा
sanjoo_sh@indiatimes.com
09351511230
अपने भविष्य की जानकारी करने की उत्सुकता हम सभी में समान रूप से विद्यमान है। इसके लिए पिछले हजारों वर्षों में कई तरीके हमारे बुद्धिमान पूर्वजों ने खोजे हैं। ज्योतिष के द्वारा फलकथन सर्वाधिक विश्वस्त तथा प्रचलित तरीका है। एक सहज तर्कशक्ति के द्वारा हम इस पर अविश्वास की भावना भी रखते हैं। इसका मूल कारण मानव की हर विषयवस्तु पर शंका करना है। मानव ने अपनी जिज्ञासु तथा शंकालु प्रवृत्ति के कारण ही आज इतनी प्रगति की है। अतः यह शंका भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया ही है। इसी शंका और जिज्ञासा ने मुझे ज्योतिष के अध्ययन की ओर खींचा और Indian Council of Astrological Science, चेन्नई के जयपुर चेप्टर से वर्ष 2002 में ज्योतिष की विधिवत शिक्षा प्राप्त करना प्रारंभ किया। वर्ष 2004 में ज्योतिष विशारद उत्तीर्ण करने के पश्चात गुरूजनों की कृपा से नियमित ज्योतिषीय विश्लेषण प्रारंभ किया और यह देखकर हैरान रह गया कि हमारे शास्त्रों में वर्णित ज्योतिषीय योगादि (जो हजारों वर्षों पूर्व विद्वानों ने खोजे हैं) कितने सटीक हैं। जिस व्यक्ति को हमने कभी देखा भी नहीं, उसकी जन्मकुंडली उसके जीवन की दशा और दिशा के समस्त रहस्य हमें दिखाने लगती है।
ज्योतिष फल कथन करते हुए रोग और ज्योतिष के आपसी संबंध का तानाबाना और स्पष्ट होने लगा (वैसे मेडिकल एस्ट्रोलाजी हमारे पाठ्यक्रम में था)। अब इसी विषय (हृदय रोगों का ज्योतिषीय अध्ययन) पर शोधरत हूँ। इस संदर्भ में मैंनें पिछले कई दिनों में वेब पर सम्पर्क करने के प्रयास किये हैं और यह ब्लाग भी उसी क्रम में तैयार किया गया है। हालांकि मुझे इंटरनेट पर अभी तक ज्योतिष प्रेमी विद्वान कम ही मिले हैं किंतु आस पर दुनिया कायम है। मैं इस ब्लाग के जरिए आपके अनुभव जानना चाहता हूँ।
मैं आपसे यह कहना चाहूंगा कि ज्ञान अनंत है और उसे प्राप्त करने में एक मानव जीवन की अवधि बेहद कम है। हम सिनर्जीस्टिक एफर्ट के द्वारा एक दूसरे की मदद कर सकते हैं।
संजीव शर्मा
sanjoo_sh@indiatimes.com
09351511230
Comments
मैं हिन्दी का हिन्दीतर ब्लॊगर हूँ ।
केरल के तिरुवनन्तपुरम में रहता हूँ,बीवी-बच्चों के साथ ।
फिर मिलेंगे... ईश्वर आपपर कृपावान रहें।
संजीव