Posts

Showing posts from 2008

ज्योतिष की उपादेयता तथा प्रासंगिकता

परिवर्तन शाश्वत हैं और इसी से जीवन गतिमान है। हम सभी परिवर्तनों को यथावत स्वीकार नहीं करते अपितु वे परिवर्तन जो हमारी मनोदशा के अनुकूल न हों उनका यथाशक्ति प्रतिरोध करते हैं चाहे हम समर्थ हों अथवा नहीं और चाहे वे परिवर्तन हमारे लिये भविष्य में लाभदायक ही हों। आज हम एक नये दौर में प्रवेश कर गये हैं जिसकी वजह से हमारे जीवन में अनपेक्षित बदलाव आ रहे हैं। अचानक ही कई नये विषय महत्वपूर्ण हो गये हैं तथा पुराने क्षेत्र एवं विषय अप्रासंगिक हो गये हैं। जहां इससे कई अवसर समाप्त हो गये हैं वहीं कई नई संभावनाओं के द्वार भी खुल गये हैं। इस परिस्थिति से तारतम्य बिठाने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहले संयुक्त परिवार प्रथा में महत्वपूर्ण विषयों पर राय घर में ही मौजूद थी जिससे अनचाही परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिलती थी। अब एक तरफ तो संयुक्त परिवारों का विघटन हो गया है तथा दूसरी ओर हमारे बुजुर्ग नये क्षेत्रों तथा विषयों से अनभिज्ञ होने के कारण कोई राय दे पाने में असमर्थ हो गये हैं। इस प्रतिस्पर्धा के युग में हमें लगातार महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ रहे हैं और हमेशा यह डर बना रहता ह

ज्योतिष और हम

आम जन के मन में ज्योतिष को लेकर एक भ्रांति सदैव विद्यमान रहती है। वह जितनी शिद्दत से इस पर विश्वास करता है उतनी ही तत्परता से इस पर परिहास के लिये भी तैयार रहता है। हम लोगों के समक्ष ज्योतिष की उपादेयता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं तथा निज कार्य के लिये इसके उपयोग के लिये तैयार भी रहते हैं। यह प्रवृत्ति ख्यातनाम लोगों में ज्यादा दिखाई देती है। ज्योतिष का अर्थ है ज्योति पिण्डों का अध्ययन। यह कोई निरा कौतुक नहीं है। स्थापित सिद्धांतों और नियमों के आधार पर यह शास्त्र किसी घटना का परिकलन और विवेचन स्वतंत्र रूप से करता है। किसी विषय की आलोचना करने के लिये हमें उस विषय का ज्ञान होना नितांत आवश्यक है। जो ज्योतिष को परिहास का विषय समझते हैं वे अज्ञ हैं और कुछ न कुछ अनर्गल कहकर स्वयं के प्रकाशन का निम्न कोटि का प्रयास करते हैं। आज हम विवाह संस्कार के लिये कुण्डली मिलान की उपादेयता पर कुछ चर्चा करने का प्रयास करते हैं। ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है कुण्डली मिलान की प्रक्रिया में भी चंद्रमा का ही सर्वाधिक महत्व है। ज्योतिष के माध्यम से दो अनजान विपरीत लिंगी व्यक्तित्वों के पारस्परिक सा

भारतीय ज्योतिष तथा रोग विचार

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी" href="http://www.chitthajagat.in/?claim=1dc6d2x2wr9w"> चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी" alt="चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी" src="http://www.chitthajagat.in/images/claim.gif" border=0> अपने भविष्य की जानकारी करने की उत्सुकता हम सभी में समान रूप से विद्यमान है। इसके लिए पिछले हजारों वर्षों में कई तरीके हमारे बुद्धिमान पूर्वजों ने खोजे हैं। ज्योतिष के द्वारा फलकथन सर्वाधिक विश्वस्त तथा प्रचलित तरीका है। एक सहज तर्कशक्ति के द्वारा हम इस पर अविश्वास की भावना भी रखते हैं। इसका मूल कारण मानव की हर विषयवस्तु पर शंका करना है। मानव ने अपनी जिज्ञासु तथा शंकालु प्रवृत्ति के कारण ही आज इतनी प्रगति की है। अतः यह शंका भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया ही है। इसी शंका और जिज्ञासा ने मुझे ज्योतिष के अध्ययन की ओर खींचा और Indian Council of Astrologic al Science, चेन्नई के जयपुर चेप्टर से वर्ष 2002 में ज्योतिष की विधिवत शिक्षा प्राप्त करना प्रारंभ किया। वर्ष 2004 में ज्योतिष विशारद उत्तीर्ण करने के पश्चात गुरूजनों की कृपा से नियमित ज्योतिषीय विश्लेषण प्रारं