ज्योतिष और हम

आम जन के मन में ज्योतिष को लेकर एक भ्रांति सदैव विद्यमान रहती है। वह जितनी शिद्दत से इस पर विश्वास करता है उतनी ही तत्परता से इस पर परिहास के लिये भी तैयार रहता है। हम लोगों के समक्ष ज्योतिष की उपादेयता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं तथा निज कार्य के लिये इसके उपयोग के लिये तैयार भी रहते हैं। यह प्रवृत्ति ख्यातनाम लोगों में ज्यादा दिखाई देती है।

ज्योतिष का अर्थ है ज्योति पिण्डों का अध्ययन। यह कोई निरा कौतुक नहीं है। स्थापित सिद्धांतों और नियमों के आधार पर यह शास्त्र किसी घटना का परिकलन और विवेचन स्वतंत्र रूप से करता है। किसी विषय की आलोचना करने के लिये हमें उस विषय का ज्ञान होना नितांत आवश्यक है। जो ज्योतिष को परिहास का विषय समझते हैं वे अज्ञ हैं और कुछ न कुछ अनर्गल कहकर स्वयं के प्रकाशन का निम्न कोटि का प्रयास करते हैं।

आज हम विवाह संस्कार के लिये कुण्डली मिलान की उपादेयता पर कुछ चर्चा करने का प्रयास करते हैं। ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है कुण्डली मिलान की प्रक्रिया में भी चंद्रमा का ही सर्वाधिक महत्व है। ज्योतिष के माध्यम से दो अनजान विपरीत लिंगी व्यक्तित्वों के पारस्परिक सामंजस्य का पता किया जा सकता है और बाद में पश्चाताप अथवा किसी विपरीत निर्णय पर पहुंचने की स्थिति से बचा जा सकता है। इस प्रक्रिया में दोनों व्यक्तियों के योनि, वश्य, नक्षत्र, गण, नाड़ी, चंद्रमा आदि का विचार किया जाता है। ये वह कारक हैं जिससे स्वभाव, प्रेम, उन्नति तथा सामंजस्य का विचार होता है। विवाह के सफल के होने के लिये समस्त आवश्यक बातों पर ज्योतिष के माध्यम से गौर किया जा सकता है। यह मात्र कोई कर्मकांड या टोना-टोटका न होकर एक स्थापित विज्ञान है और यदि जन्म विवरण प्रामाणिक हो तो अन्य बातों के साथ-साथ कुण्डली मिलान की प्रक्रिया पर भी विचार करना लाभदायक रहेगा।

Comments

संजीवजी, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। ज्योतिष पूरी तरह से वैग्यानिक पद्धति पर आधारित है और पूरी तरह सार्थक और शाश्वत है। आपके ब्लॉग पर मोती डूंगरी गणेशजी और आराध्य गोविंददेवजी के दर्शन कर धन्य हो गया। आपका धन्यवाद.
akshay said…
sanjiv ji, aapka lekh bahut hi sarthak hai... bilkul sahi farmaya aapne...hame samaj me faile andhvishwas ko dur karne ki jarurat hai... hame prachin ritiyo me vigyan ko dhundhane ki avadhyakta hai..jaise www.eanveshan.com ityadi ..ham nishchit hi prachin bharat ke vaigyanik tathyo ko dunia ke samne rakh sakte hai

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