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आज का युग अर्थ प्रधान है और हमें अपने जीवन में कई बार कर्जा लेने की जरूरत हो जाती है। कुछ लोगों को कर्जा बेहद आसानी से मिल जाता है वहीं कई मामलों में कर्जा आसानी से नहीं मिलता। इसके साथ ही कर्जा चुकाने में भी अलग-अलग अनुभव हैं। हमने देखा है कि कुछ व्यक्ति कर्जे को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते और बेहद आसानी से चुकता कर देते हैं वहीं कुछ के साथ कर्ज अदायगी एक समस्या बन जाती है और व्यक्ति की साख खराब हो जाती है। कर्जा या ऋण ज्योतिष में मुख्य रूप से मंगल से जुड़ा है और मंगल की स्थिति ठीक न होने पर व्यक्ति को कर्जा लेना ही पड़ता है। इसी के साथ कुण्डली मे छठा भाव भी कर्ज से जुड़ा है और इसके आधार पर यह बताया जा सकता है कि : कोई व्यक्ति कर्जा कब लेगा ? कर्जा आसानी से मिलेगा या नहीं ? अदायगी आसानी से हो जाएगी या समस्यायें आयेंगी ? मंगल , षष्ठेश और छठे भाव के दूसरे और ग्यारहवें भाव से जुड़ने पर कर्जा आसानी से मिलता है और अदायगी भी आसानी से हो जाती है। कर्जे से प्राप्त धन का सदुपयोग भी होता है। वहीं यदि यह आठवें भाव से जुड़ जायें तो कर्जा मुश्किल से मिलता है। बैंकिंग संस्थान या लोन

किसे हो सकता है मधुमेह (डाइबिटीज): ज्योतिष से जानें

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मधुमेह अर्थात् डाइबिटीज होने की संभावना को ज्योतिष के आधार पर देखा जा सकता है। यह रोग खून में शक्कर यानी ब्लड शुगर के बढ़े हुए स्तर के कारण होता है। चिकित्सकीय दृष्टि से इसके दो कारण हैं: जीवन शैली आनुवांशिक अगर आनुवांशिक कारणों से मधुमेह है तो कम उम्र में ही इसके कारण काफी तकलीफ होने लगती है, वहीं आरामदेह जीवन शैली के कारण होने वाला मधुमेह एक महामारी के रूप में फैलता जा रहा है।  ज्योतिष से यह जाना जा सकता है कि किसे मधुमेह होने की संभावना ज्यादा है। यह भी जाना जा सकता है कि समस्या कब सामने आएगी। कुछ प्रमुख ज्योतिषीय संकेत निम्न प्रकार से हैं:- यदि लिवर यानी यकृत की समस्या के कारण मधुमेह होने की संभावना है तो बृहस्पति तथा सिंह राशि से इसका पता चलता है। यदि अग्नाशय यानी पैनक्रियाज के कारण मधुमेह की संभावना है तो शुक्र तथा कर्क राशि इसका संकेत देते हैं। गलत खान-पान और आरामदेह जीवनशैली के कारण मधुमेह की संभावना को शुक्र दर्शाता है।  खून में शर्करा की मात्रा यानी ब्लड ग्लूकोज लेवल के लिए शुक्र और चंद्रमा के साथ मंगल को देखा जाता है। शुक्र तथा चंद्रमा पेशाब में शर्करा यान

अगर आप राशिफल पढ़कर ही अपने दिन की शुरुआत करते हैं तो फिर यह पोस्ट आपके लिए है।

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बहुत से लोग समाचार पत्र या इन्टरनेट पर अपने राशिफल को पढ़कर ही अपने दिन की शुरूआत करते हैं। उनका विश्वास है कि इससे उस दिन के लिए जो सलाह या चेतावनी है उसके अनुरूप ही उन्हें उस दिन अपने कार्य करने से सफलता मिलेगी। ज्योतिष में मेष से मीन तक बारह राशियां हैं। किसी जातक के जन्म समय पर चंद्रमा जिस राशि में स्थित हो उसे उस जातक की चंद्र राशि कहा जाता है। इससे कुछ विषयों का विचार किया जाता है जिसमें उसका मानसिक व्यक्तित्व प्रमुख है। जन्म चंद्र से गोचर चंद्र की स्थिति के अनुसार दैनिक या साप्ताहिक राशिफल बताने की परम्परा है। मूल प्रश्न यह है कि क्या मात्र चंद्रमा की स्थिति से ही किसी जातक के लिए कोई भविष्यवाणी की जाना संभव है? कुछ ज्योतिर्विद जन्म चंद्रमा से गोचर कर रहे प्रमुख ग्रहों यथा सूर्य, शनि और बृहस्पति आदि की स्थिति को विचार में रखते हुए भी भविष्यवाणी करते हैं। सामान्यतः इससे स्थूल भविष्यवाणी की जाती है और यह भी लिखा हुआ मिलता है कि उक्त भविष्यवाणी को अपनी महादशा-दशा तथा जन्म पत्रिका से तारतम्य रखकर ही पढ़ें। इस से यह स्पष्ट है कि जन्म चंद्रमा से गोचर के ग्रहों की स्थिति के आधार

तरक्की के लिए तीन जरूरी बातें जो ज्योतिष से जानी जा सकती हैं।

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क्या आपको पता है कि वे तीन आवश्यक चीजें कौनसी हैं, जो आपको समय रहते जान लेनी जरूरी हैं? आज का युग गलाकाट प्रतिस्पर्धा का है और गलत निर्णयों से हम खेल से बाहर हो सकते हैं। जीवन अवसरों का नाम है और एक बार जो अवसर चला जाता है वह दोबारा नहीं आता। मौके खोने का मतलब हो सकने वाली प्रगति से महरूम हो जाना है। ज्योतिष की सहायता से आपको ये तीन महत्वपूर्ण बातें अवश्य जान लेनी चाहिेयें:- 1. आपकी जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण क्या है? कई बार दिशाहीनता की वजह से तरक्की की राहें नहीं मिलती हैं। सही दिशा मालूम हो तो तरक्की करना बेहद आसान हो जाता है। 2. आपकी जिंदगी में कौनसा रिश्ता आपकी तरक्की के लिए बेहद महत्वपूर्ण है? सही व्यक्ति की पहचान हो जाने से आप उसकी नीयत पर शक नहीं करेंगे और न ही उसकी सलाह को नजरअंदाज करेंगे। इससे आपकी तरक्की की रफ्तार बढ़ सकती है। 3. आपकी जिंदगी के लिए सबसे बड़ा रोड़ा कौनसा व्यक्ति या रिश्ता है? इसकी पहचान करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि हो सकता है कोई आपको तरक्की नहीं करने देना चाहता हो और आपको उसकी नीयत का अंदाजा ही ना हो। इससे आपकी तरक्की की रफ्तार धीमी पड़ सकती है। ज

हम ज्योतिष पर विश्वास क्यों करें?

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हम ज्योतिष पर विश्वास क्यों करें ? यह प्रश्न अक्सर मुझसे पूछा जाता रहा है और मेरा प्रयास सदैव प्रश्नकर्ता को इससे लाभ उठा रहे लोगों से साक्षात्कार करने और उनसे अपनी जिज्ञासा की शांति के लिए चर्चा करने का अवसर देने का रहता है। इसके दो लाभ हैं , एक तो मैं आत्मश्लाघा के पाप से बच जाता हूँ , दूसरे किसी अन्य व्यक्ति के अनुभवों को सुनकर प्रश्नकर्ता के ज्यादातर संदेह दूर हो जाते हैं। हालांकि हर कोई इससे संतुष्ट नहीं होता है लेकिन वहम की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं बताई गई है। इसी संदर्भ में वर्ष 2005 में घटी एक घटना का जिक्र करना चाहता हूँ। मैं , उस समय पत्नी के रूप में घर में ही एक आलोचक की उपस्थिति से लाभान्वित था और अपने ज्योतिष प्रेम की वजह से अक्सर उसके व्यंग्य या ठिठोली का निशाना बनना मेरी नियति था। रविवार , 20 मार्च , 2005 की सुबह लगभग 10:00 बजे मेरी पत्नी को पड़ोस की एक लड़की के शनिवार मध्याह्न से लापता होने का पता चला और उसने मेरा इम्तिहान लेने की दृष्टि से घटना का उल्लेख कर यह जानना चाहा कि क्या वह लड़की मिल जायेगी और क्या वह सकुशल है ? मेरे द्वारा पंचांग में उस दिन के

ज्योतिष की उपादेयता तथा प्रासंगिकता

परिवर्तन शाश्वत हैं और इसी से जीवन गतिमान है। हम सभी परिवर्तनों को यथावत स्वीकार नहीं करते अपितु वे परिवर्तन जो हमारी मनोदशा के अनुकूल न हों उनका यथाशक्ति प्रतिरोध करते हैं चाहे हम समर्थ हों अथवा नहीं और चाहे वे परिवर्तन हमारे लिये भविष्य में लाभदायक ही हों। आज हम एक नये दौर में प्रवेश कर गये हैं जिसकी वजह से हमारे जीवन में अनपेक्षित बदलाव आ रहे हैं। अचानक ही कई नये विषय महत्वपूर्ण हो गये हैं तथा पुराने क्षेत्र एवं विषय अप्रासंगिक हो गये हैं। जहां इससे कई अवसर समाप्त हो गये हैं वहीं कई नई संभावनाओं के द्वार भी खुल गये हैं। इस परिस्थिति से तारतम्य बिठाने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहले संयुक्त परिवार प्रथा में महत्वपूर्ण विषयों पर राय घर में ही मौजूद थी जिससे अनचाही परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिलती थी। अब एक तरफ तो संयुक्त परिवारों का विघटन हो गया है तथा दूसरी ओर हमारे बुजुर्ग नये क्षेत्रों तथा विषयों से अनभिज्ञ होने के कारण कोई राय दे पाने में असमर्थ हो गये हैं। इस प्रतिस्पर्धा के युग में हमें लगातार महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ रहे हैं और हमेशा यह डर बना रहता ह

ज्योतिष और हम

आम जन के मन में ज्योतिष को लेकर एक भ्रांति सदैव विद्यमान रहती है। वह जितनी शिद्दत से इस पर विश्वास करता है उतनी ही तत्परता से इस पर परिहास के लिये भी तैयार रहता है। हम लोगों के समक्ष ज्योतिष की उपादेयता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं तथा निज कार्य के लिये इसके उपयोग के लिये तैयार भी रहते हैं। यह प्रवृत्ति ख्यातनाम लोगों में ज्यादा दिखाई देती है। ज्योतिष का अर्थ है ज्योति पिण्डों का अध्ययन। यह कोई निरा कौतुक नहीं है। स्थापित सिद्धांतों और नियमों के आधार पर यह शास्त्र किसी घटना का परिकलन और विवेचन स्वतंत्र रूप से करता है। किसी विषय की आलोचना करने के लिये हमें उस विषय का ज्ञान होना नितांत आवश्यक है। जो ज्योतिष को परिहास का विषय समझते हैं वे अज्ञ हैं और कुछ न कुछ अनर्गल कहकर स्वयं के प्रकाशन का निम्न कोटि का प्रयास करते हैं। आज हम विवाह संस्कार के लिये कुण्डली मिलान की उपादेयता पर कुछ चर्चा करने का प्रयास करते हैं। ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक कहा गया है कुण्डली मिलान की प्रक्रिया में भी चंद्रमा का ही सर्वाधिक महत्व है। ज्योतिष के माध्यम से दो अनजान विपरीत लिंगी व्यक्तित्वों के पारस्परिक सा